क्या मजे की बात है। जब जी चाहे टाइम मशीन का समय चक्र घुमाया और जा पहुंचे पुराने समय में। मिल आये तत्कालीन रिश्तेदारों से, दोस्तों से, दुश्मनों से और चाहे तो कुछ भूल सुधार भी कर आये। ऐसा ही कुछ लगता था मुझेजब पहली बार मैंने एक लोकप्रिय अंग्रेज़ी फिल्म "Timecop" देखी। Van Dam की इस फिल्म में खलनायक समय सेपीछे जा कर अपराध करता था। उदाहरण के लिए, वह १९३० के दशक में जा कर मंदी के दौर की कंपनियों के शेयर औनेपौने दामों में खरीदता था और फिर वर्तमान में लौट आता था और उन्हीं कंपनियों पर कब्ज़ा कर लेता था अपने शेयरहोल्डिंग की बदौलत। एक अन्य बदमाश वर्तमान से अत्याधुनिक स्वचालित मशीन गन ले कर १९ वीं शताब्दी में जाकर खज़ाना लूटता था फिर मजे से वापस लौट आता था। कुछ इसी तरह की चीज़ें कॉमिक्स में भी मिलती हैं।
हाँ कुछ अजीब से प्रश्न ज़रूर आते थे मन में जो इस तरह की फिल्मों में ठीक से उत्तरित नहीं होते थे। जैसे जब आपविगत में जा कर कुछ बदलते हैं, तो उनके परिणाम तब से ले कर अब यानी वर्तमान तक कुछ न कुछ ज़रूर बदलेंगे। फलस्वरूप जब हम वापस वर्तमान में लौटेंगे तो वह वैसा ही नहीं रहेगा जैसा हम उसे छोड़ कर गए थे।
विज्ञानं फंतासियों के अलावा ऐसे विचारों को शायद ही कोई गंभीरता से लेता हो।
लेकिन.... इट हैपेन्स ओनली इन इंडिया। कुछ समय पहले एक रिअलिटी शो आरंभ हुआ है 'राज़..पिछले जन्म का' एनडी टी वी इमेजिन पर जहाँ प्रतिभागी बड़े नाटकीय तरीके से अपने पूर्व जन्म में चले जाते हैं (यह समय यात्रा से भीआगे की चीज़ है भाई) और उन्हें सब कुछ याद आ जाता है, कि उनकी मृत्यु कैसे हुई, पिछले जन्म में कौन माँ बाप थे, आदि आदि। प्रेमाईस ये है कि यदि आपको कोई चीज़ बेचैन करती है, किसी प्रकार का भय है, या ऐसा ही कुछ तो ज़रूरइसका रिश्ता पूर्व जन्म से है। तो अब आप पूर्व जन्म में जाइये, अपनी वर्तमान समस्या का निश्चित कारण 'देखिये'। और वापस आइये आपकी उद्विग्नता समाप्त या कम हो जाएगी। तो जैसे ही सेलिना जेटली कहती हैं कि उन्हें 'सोल मेट' कि तलाश है, दर्शक समझ जाता है कि ज़रूर पूर्व जन्म में इनका कोई ब्रेक अप हुआ था। वाह वाह।
कोई भी इस अंधविश्वास से भरे और तर्क से परे कार्यक्रम का विरोध नहीं करता, कि 'पास्ट लाइफ थेरेपी' आजकल 'इनथिंग' है। इलीट वर्ग का नया शगल। तो मध्य वर्गीय जनता को सास बहू के आगे भी नया कुछ दिखा। प्रिंट मीडिया याचैनेलीय मीडिया कहीं भी कुछ सुगबुगाहट नहीं। सूचना और प्रसारण मंत्रालय भी सोया है। जबकि उसके ही एक नियम 'Cable Television Network Rules, 1994 (Rule 6-1-j) के तहत अंधविश्वास फैलाना जुर्म है।
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1 टिप्पणी:
Good observation!! You r right. It happens only in India..
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